रात हो रही है और अब मेरा पहरा शुरू होता है ।
ये पहरा मेरे मरने पर ही ख़तम होगा ।
ना मैं शादी करूँगा, ना ज़मीन रखूँगा, ना बाप बनूँगा ।
ना कोई मुकुट पहनूंगा, ना कोई गौरव जीतूंगा ।
अपने पद पे जीऊंगा और मरूंगा ।
मैं अंधेरे में तलवार हूँ ।
मैं दीवारों पे पहरेदार हूँ ।
इंसानियत की दायरे की रक्षा करने वाला मैं ढाल हूँ ।
आज की रात और आने वाले सभी रातों के लिए, मैं अपनी जान और मान रात के पहरे के नाम करता हूँ ।